Wednesday, September 12, 2018

राहुल गांधी पर आरएसएस की मानहानि मामले में चलेगा केस

शाह ने पिछले साल इस बात की भी पूरी कोशिश की कि सोनिया गांधी के विश्वस्त अहमद पटेल गुजरात से राज्यसभा सीट न जीत पाएं क्योंकि पटेल भी आर्थिक तौर पर इसका तोड़ निकाल पाने में सक्षम थे.
शाह हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को इस तरह उठाने में माहिर है कि जातिगत मतभेद को ख़त्म कर विरोधियों के ख़िलाफ़ एकता बनाई जा सके. 2014 चुनावों के दौरान भी एक विशेष चुनावी ट्रैकर का इस्तेमाल किया गया जिससे उत्तर प्रदेश की हर सीट का आकलन वहां के 'भावनात्मक मुद्दों' के मुताबिक़ किया गया था.
उस वक्त उत्तर प्रदेश के प्रभारी अमित शाह ही थे. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में आए अविश्वसनीय परिणाम ने बता दिया कि नरेंद्र मोदी की सफलता की कुंजी अमित शाह हैं.
अर्थव्यवस्था की हालत और मोदी सरकार के अधूरे वादों के मद्देनज़र अमित शाह की ऊर्जा अब विपक्ष को विभाजित रखने में जाएगी. आने वाले साल 2019 में शाह की क्षमताओं की असल परीक्षा होगी कि वे 'मोदी प्रयोग' को अगले स्तर तक पहुंचा पाते हैं या नहीं.
छोटी पार्टियों को ऐसे धमकाना और प्रबंधित करना कि विपक्षी एकता का सूचकांक वैसा ही रहे जैसा 2014 में था और जिसने भाजपा को 31 प्रतिशत वोट के साथ बहुमत दिया.
तेलंगाना में एक बस हादसे में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई है. बस कोंडागट्टू के एक मंदिर से लौट रही थी.
जगित्याल जाने के दौरान राज्य परिवहन निगम की बस एक खाई में गिर गई.
सड़क सुरक्षा प्राधिकरण के पुलिस महानिदेशक कृष्णा प्रसाद ने बताया कि बस में 86 लोग यात्र कर रहे थे. घायलों को करीमनगर और जगित्याल के सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
बस के ड्राइवर श्रीनिवास की भी मौके पर मौत हो गई है.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया है.
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है. सड़क परिवहन निगम ने बीबीसी को बताया कि दुर्घटना की शिकार बस अक्टूबर 2007 में खरीदी गई थी और यह करीब 14.5 लाख किलोमीटर चल चुकी थी.
पुलिस महानिदेशक ने परिवहन निगम को 14 लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी गाड़ियों को परिचालन से बाहर करने के निर्देश दिए हैं.
दुर्घटना की शिकार बस जगित्याल से डोंगालामारी तक चलती थी. कोंडागट्टू पर उसका पड़ाव था, जहां श्रद्धालु बस में चढ़े थे.
शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि ड्राइवर बस पर अपना नियंत्रण खो चुका था और वो खाई में जा गिरी. स्थानीय लोगों का कहना है कि बस में यात्रा कर रहे सभी लोग श्रद्धालु नहीं थे.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बस में क्षमता से अधिक लोग बैठे थे. बस तेज़ गति में चल रही थी और लोहे की रेलिंग से टकरा गई.
ख़बरों के मुताबिक मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं.
सोशल मीडिया में शेयर किए गए हादसे के वीडियो में दिख रहा है कि बस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है.
स्थानीय लोग बस की खिड़कियों से घायलों को निकालने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
इससे पहले फरवरी 2012 में हुए एक सड़क दुर्घटना में 12 लोगों की मौत हो गई थी.
निजामाबाद से आ रही एक ट्रक कोंडागट्टू घाट रोड पर दुर्घटना की शिकार हो गई थी.
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सड़कों कौ चौड़ा करने की मांग की थी. उनका कहना है कि इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ.
सड़क परिवहन प्राधिकरण के अनुसार 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में करीब  लोगों ने जान गंवाई थी. हालंकि पिछले चार सालों में सड़क दुर्घटना में होने वाले मौतों में कमी आई है.
केरल में पिछले कुछ दिनों वैसा प्रदर्शन देखने को मिल रहा है, जो अमूमन देखने को नहीं मिलता है. इस प्रदर्शन में कई नन हर दिन कुछ घंटे के लिए प्रदर्शन के लिए जमा हो रही हैं.
ये नन जालंधर के उस बिशप फ्रैंको मुलक्कल को गिरफ़्तार किए जाने की मांग कर रही हैं, जिन पर एक नन के साथ 6 मई, 2014 से 23 सितंबर, 2016 के बीच रेप करने का आरोप है.
हालांकि इस ईसाई मिशनरी ने कोच्चि में प्रदर्शन कर रहे ननों को प्रदर्शन में शामिल नहीं होने का आदेश दिया है.
केरल कैथोलिक चर्च सुधार आंदोलन के जार्ज जोसेफ ने बीबीसी को बताया, "मिशनरीज के सामने ऐसा कहने के सिवा दूसरा रास्ता नहीं है, क्योंकि ये समूह सीधे तौर पर जालंधर बिशप के अधीन आता है जिसके प्रमुख बिशप मुलक्कल ही हैं."
जोसेफ़ ने इससे पहले केरल हाइकोर्ट में नन की याचिका भी दाख़िल कराई थी. इससे पहले वह अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास गई थी क्योंकि चर्च प्रबंधकों ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की थी.
जब जोसेफ की याचिका पर कोर्ट में 10 अगस्त को सुनवाई हुई तब पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि उसे नन के आरोपों के पक्ष में कुछ सबूत मिले हैं, जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में सावधानी से काम करने को कहा था.
हालांकि तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो जोसेफ़ ने हाइकोर्ट में दूसरी याचिका दाख़िल की, जो डिविजन बेंच के सामने रखी गई. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख़ तय की है.
जोसेफ़ ने अदालत से चार अहम बिंदुओं पर ध्यान देने का अनुरोध किया है. जोसेफ़ ने कहा, "बिशप को तत्काल हिरासत में लिया जाए. जांच की निगरानी हाइकोर्ट के अधीन हो. बिशप मुलक्कल के विदेश जाने पर रोक लगाई जाए और यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल बनाया जाए."से ननों के प्रदर्शन की ख़ास बात ये है कि उसे समाज के दूसरे तबकों का भी साथ मिल रहा है.
इनके समर्थन में प्रदर्शन में शामिल केरल हाइकोर्ट के सेवानिवृत जज कमाल पाशा ने बीबीसी से कहा, "पुसिस को अब तक अभियुक्त को हिरासत में लेना चाहिए. हाइकोर्ट के सामने जांच अधिकारी ने जो एफिडेविट दाख़िल किया है उसके मुताबिक बिशप को हिरासत में लेने के लिए पर्याप्त सबूत है."
"मुझे लगता है कि इस मामले में नन का साथ देना चाहिए. वे लोग अभियुक्त को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. उसने अभी तक अग्रिम ज़मानत की याचिका भी दाख़िल नहीं की है."
ऐसे में एक बड़ा सवाल ये है कि चर्च का स्टैंड क्या है?
सायरो मालाबार चर्च के पूर्व प्रवक्ता फ़ाद पॉल थेलाकाठ ने बताया है, "शर्मनाक चुप्पी है, नन की शिकायत को कई महीने बीत चुके हैं. उन्होंने पुलिस के पास भी शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई."
फ़ादर थेलाकाठ ने बताया, "कोई फ़ैसला नहीं सुना रहा है कि कौन सही है और कौन ग़लत. लेकिन चुप्पी पीड़ादायक है."

No comments:

Post a Comment